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क्या आप रमज़ान की दुआ (Ramzan Ki Dua) के बारें में जानते है यदि नहीं तो आपको इस पोस्ट में रमज़ान की दुआ हिन्दी, इंग्लिश व उर्दू में मिलने वाली है | साथ ही रमज़ान की दुआ पढ़ने के फायदे भी इस पोस्ट में बताए गए | आपको ये फ़ायदे जरूर पढ़ने चाहिए |

रमज़ान की दुआ कौनसी है?
रमज़ान की एक मशहूर दुआ है: “اللّٰهُمَّ سَلِّمْنِيْ لِرَمَضَانَ وَسَلِّمْ رَمَضَانَ لِيْ وَسَلِّمْهُ لِيْ مُتَقَبَّلاً”
इस दुआ का मतलब होता है: “अल्लाह! मुझे रमजान के लिए सलामत रखें और रमजान मुझे सलामत रखें, मेरे लिए रमजान को मुग़द्दस (क़बूल होने वाले इबादत) बनाएं।”
यह दुआ रमजान के महीने की शुरुआत में और इस महीने के दौरान पढ़ी जाती है। इस दुआ को पढ़ने से रोज़ादार के रोज़ा के फ़ायदे हासिल होते हैं और रमजान की इबादत और तल्लुक ख़ास बनता है।
रमजान की दुआ हिन्दी में
अल्लाहुम्मा बारिक लना फी रमजान वओझोओ’लना उम्रना फीह।
इस दुआ का मतलब होता है: “अल्लाह, हमारे लिए रमजान को मुबारक बनाओ और हमें इसमें उम्र बहुत से साल तक बरकत देना।”
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रमजान की दुआ इंग्लिश में
“O Allah, make the coming month of Ramadan blessed for us and let us benefit from it by increasing our age, granting us good health and providing us with provisions. Ameen.”
रमज़ान की दुआ उर्दू में
اللّٰهمَّ بارِک لَنا فِی رَجَب وَ شَعْبان وَ بَلِّغْنا رَمَضان
रमजान की दुआ पढ़ने के 10 फायदे
रमजान की दुआ पढ़ने के कई फायदे होते हैं। इनमें से रमजान की दुआ पढ़ने के 10 फायदों की एक सूची यहाँ दी जा रही है-
- रमजान की दुआ को पढ़ने से रोज़ादार के रोज़ा के फायदे हासिल होते हैं। इस दुआ के पढ़ने से इंसान के दिल में इमान की ताकत बढ़ती है और वह अपने रोज़े को मजबूती से निभा पाता है।
- इस दुआ के पढ़ने से रमजान की इबादत और तल्लुक ख़ास बनता है।
- रमजान की दुआ को पढ़ने से अपने सभी गुनाहों से माफ़ी मांगने का मौका मिलता है।
- रमजान की दुआ को पढ़ने से इंसान के दिल में ताक़त और सकीना बढ़ती है।
- रमजान की दुआ उन सभी सक्रियताओं के लिए आत्मा की शांति प्रदान करती है, जो रोज़ादार को रोज़ा का पालन करते समय महसूस होती हैं।
- यह दुआ रोज़ादार को रमजान के महीने में अधिक आत्मसमर्पण और इबादत करने में मदद करती है।
- रमजान की दुआ पढ़ने से रोज़ादार का मन शांत होता है और उसे अधिक इंसानियत के साथ जुड़ने में मदद मिलती है।
- इस दुआ को पढ़ने से रोज़ादार को अपने आप से अधिक प्रभावित होने की स्थिति बनती है।
- रमजान की दुआ रोज़ादार को अपने दिनचर्या को अनुकूल बनाने में मदद करती है।
- यह दुआ रोज़ादार के मन को शुद्ध करती है और उसे भलाई की तरफ धकेलती है।
- रमजान की दुआ पढ़ने से रोज़ादार को अपने रोज़े के लिए सही नियत रखने में मदद मिलती है।
रमज़ान की दुआ कब पढ़नी चाहिए?
रमजान की दुआ को सुबह सहरी से पहले और इफ्तार के समय पढ़ना चाहिए। सहरी से पहले दुआ पढ़ने से पहले सुबह की नमाज के बाद तहज्जुद नमाज पढ़ी जाती है जिसके बाद सहरी खाई जाती है। इफ्तार के समय दुआ पढ़ने से पहले इफ्तार खाने की तैयारी की जाती है।